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हम तुम / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
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दुनिया चलती है अपने रस्तों पर और खामोश से खड़े हम तुम देखते एक दूसरे की तरफ़ मानो मुद्दत से हों युँ ही गुम सुम। </poem>