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हम तो अभी बचपन का ज़माना नहीं भूले / सिया सचदेव

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हम तो अभी बचपन का ज़माना नहीं भूले
शाखों से परिंदों को उड़ाना नहीं भूले

हमने तो यहीं आपसे सीखा है सदा माँ
हम आज भी रिश्तों को निभाना नहीं भूले

एहसास की लज्ज़त है अभी जिसमें नुमायां
हम माँ का वहीं शाल पुराना नहीं भूले

माँ का मुझे वो डाँटना और साथ में रोना
सीने से मुझे फिर वो लगाना नहीं भूले


माँ बाप की इज्ज़त है सदा धर्म तुम्हारा
बच्चो को यहीं बात सिखाना नहीं भूले

बचपन की हमें याद दिलाती है ये बारिश
 बारिश की फुहारों में नहाना नहीं भूले .

ममता से भरा होता था इक इक वो निवाला
माँ के बने हाथो का वो खाना नहीं भूले

रस्ते में भले आये सिया कितनी मुसीबत
उम्मीद के फूलों को खिलाना नहीं भूले