भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हम त अभागिन ए नारी / भोजपुरी
Kavita Kosh से
हम त अभागिन ए नारी, हाँ रे पियवा देलीं हम गारी,
रुसली गे पियवा चलेला बिदेसवा हो राम, रुसली गे पियवा.।।१।।
जवने बने सिंकियो ना डोले, तवने बनवाँ पियवा लेले बासे,
रुसली गे पियवा चलेला बिदेसवा हो राम, रुसली गे पियवा.।।२।।
हो करेला रोजीगरवा हो राम, रुसली गे पियवा।।३।।
जवने बन बाघवा जे गूँजे, तवने बने पियवा लेले बासे,
चलेले बिदेसवा हो राम।
करेला रोजीगरवा हो राम, रुसलो नायकवा।।४।।