हम दिल से मुहब्बत करते हैं
कब यार अदावत करते हैं
अब दूर रहेंगे उनसे भी
जो लोग सियासत करते हैं
हर बार तुम्हारे ही अपने
कमज़ोर इमारत करते हैं
तुम माफ़ हमें भी कर देना
थोड़ी-सी शरारत करते हैं
कुछ दाग़ लगेंगे दामन पर
बेख़ौफ़ शराफ़त करते हैं