हम दोनू भाई ईब सुणादे जुणसा जिक्र कल था / मेहर सिंह
वार्ता- सज्जनों रानी अम्बली कहती है कि महाराज ये दोनूं भाई कल रात जो बतलावै थे वो के बतलावैं थे, इन से पूछो तो दोनो भाई क्या जवाब देते हैं-
अम्बली रानी माता म्हारी अम्ब राजा बाबुल था।
हम दोनूं भाई ईब सुणादें जुणसा जिक्र कल था।टेक
दरवाजे पै आकै नै सिर सवाल धरा साधू नै
म्हारे पिता पै राज मांग लिया बचन भरा साधू नै
अमृतसर के खास तखत पै राज करा साधू नै
लत्ते कपड़े टूम ठेकरी लिए तरा साधू नै
धक्के दे कै बाहर काढ़ दिये उसका पत्थर कैसा दिल था।
अमृतसर तै चाल पड़े उज्जैन शहर की त्यारी रै
भठियारी कै नौकर लागे ओटी ताबेदारी रै
कुछ दिन होगे रहते सहते आग्या एक व्यापारी रै
सेर चून का लोभ दिखा उड़ै भेज दई मां म्हारी रै
म्हारी मां नै सौदागर लेग्या उस भठियारी का छल था।
फेर पिता बूझण लाग्या एक गठड़ी पत्ते ल्या कै
छो मैं आ भठियारी बोली हाथ मैं जूता ठा कै
धक्के देकै बाहर काढ़ दिये बैठ गये गम खा कै
पार होण की सोचां थे हम चम्बल उपर आकै
अधम बिचालै म्हारा बाप डुबग्या उड़ै बहै जोर का जल था।
एक उरे ने एक परे नै यो दुःख भार्या होग्या रै
पणमेशर की करणी तो कुणबा न्यारा न्यारा होग्या रै
धोबी धोबिन आऐ घाट पै कुछ प्रेम हमारा होग्या रै
मेहर सिंह नै लखमीचन्द का बहुत सहारा होग्या रै
सतगुरु जी की टहल करे तैं युं कर्म करे का फल था।