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हम नए हैं / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
हम नए हैं
नए थे भी
नए आगे भी रहेंगे
यह हमारा गीत होना
सुनो समयातीत होना है
बन सदाशिव
ज़हर से अमृत बिलोना है
कल दहे थे
दह रहे हैं
कंठ आगे भी दहेंगे
सूर्य के संग यात्रा में
आज या कल नहीं होता
गीत का क्षण है अजन्मा
वह कभी भी नहीं खोता
बह रहे थे
कल बहे थे
जल हमेशा ही बहेंगे
सत्य वह है
जो रहा सुंदर हमेशा
वह नहीं जिसके सदा ही
बीतने का अंदेशा
कल कहा था
कह रहे हैं
यही कल भी हम कहेंगे।