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हम बनैले सूअर / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
जिस तरह
बनैले सूअर को
हाँका लगा कर,
घेर कर मारा जाता है
वैसे ही
इस देश के जन
मारे जा रहे हैं,
और मारे जाएँगे ।
हमें अपने दन्तेल होने का भान
शायद नहीं है
जैसे शिकारियों से घिरा
एक बनैला , दन्तैल सूअर
फाड़ देता है शेर का भी कलेजा
वैसे ही
इन शिकारियों के बीच
घिरे हुए तुम
बनैले सूअर क्यों नहीं बन सकते