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हम बीस तीस सालों में कितने बदल गए / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
क्या कहे अखबार वालों से व्यथा औरत
यौन शोषण की युगों लम्बी कथा औरत
अपहरण कर ले गए रावण कभी बिल्ला
कल सिया तो आज गीता चोपड़ा औरत
आज भी मामा या सौतेले पिता के हाथ
बेच दी जाती है बूढ़े को युवा औरत
एक कवि ही था, कहा जिसने उसे ‘श्रद्धा’
आम मर्दों ने सदा ली अन्यथा औरत
कल सती हो कर जली थी आज पति के हाथ
बन गई जीवित जलाने की ‘प्रथा’ औरत