भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम बोले हम ख़ुदमुख़्तार / संजय चतुर्वेद

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

न्यायपालिका ने अपना काम किया
हमने उसे हत्यारा घोषित कर दिया
तो विश्वविद्यालय और पुलिस ने अपना काम शुरू किया
तब हम न्यायपालिका की तरफ़ भागे
जब उसने हमें फटकार लगाई
हमने चुपके-चुपके न्यायाधीश को गालियाँ देना शुरू कर दिया
इस बीच विश्वविद्यालय ने अपना काम कर दिया
अब हमने कहा न्यायपालिका को अपना काम करने दो
तमाशा देखकर जनता बोली
भाई लोगो ये सिर्फ़ आपका नहीं
सबका विश्वविद्यालय है
आप लोग ये कर क्या रहे हो
हमने कहा सवाल पूछने वाले राष्ट्रवाद का शिकार हैं
हमें राष्ट्र से क्या मतलब
फ़िलहाल हमारे पास ज़्यादा ज़ुरूरी काम हैं
भटकाइए मत
देखते नहीं हम मतलब की ख़ातिर
हाल ही इस्तेमाल किए साथियों तक को दग़ा दे चुके हैं
इन्क़लाब बोला भाई लोग आप चाहते क्या हो
हम बोले तेरी हिम्मत कैसे हुई यह पूछने की
हम न्यूनतम ज़ुरूरत वाले ख़ुदमुख़्तार लोग
हमें चाहिए ही क्या

बाक़ी सब तो भगवत्कृपा से हो ही जाता है
अपने बन्दों के लिए कुछ पोशीदा फ़िक्सिंग
पट्टीदारों को गालियाँ देने के लिए स्वायत्त साधन
और दूसरों के जवान बच्चों को
दौलेशाह के चूहों में तब्दील करने का सनातन तिलिस्म ।

2016