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हम भी होते आप-से अफ़सर हुज़ूर / विनोद तिवारी

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हम भी होते आपसे अफ़्सर हुज़ूर
काश मिल पाते हमें अवसर हुज़ूर

आड़ अधिकारों की ले आराम से
लूटिए दुनिया को जी भर कर हुज़ूर

उनको आज़ादी से कहिए क्या मिला
ढो रहे जो गंदगी सर पर हुज़ूर

प्रश्न यह जनता करेगी एक दिन
देना होगा आपको उत्तर हुज़ूर

एक दिन कुर्सी खिसक ही जाएगी
चाहे जितना थामिए कसकर हुज़ूर