हम भोजपुरी हई / संतोष कुमार
हम भोजपुरी हई!
हम भोजपुरी हई!
पच्चीस करोड़न के माई
देस से परदेस ले
सोलह देस में बढ़ल बानी
करोड़न के जबान पर चढ़ल बानी
बाकिर हिन्दी विद्वान कहेलें
हमरा के
आपन उपभाषा
हिंदी बोलवइया कहेलें
हमरा के लोकभाषा
कुछेक हिंदीवाला कहेलें
हमरा के मउसी
आ कुछ कहलें जनभाषा
साँच कहीं त
सुनत सुनत ई कुल्ह
कान पाक गइल बा
जीव अगुता गइल बा
कुछ लोगन के मति
पकुआ गइल बा
अब हम सभके बता दीं
सभके जता दीं
हमरे खुन मज़्ज़ा से बनल
हिंदी हमार बेटी हई!
हमरा के ओकर मउसी
कहल ग़लत बा
काहे हिन्दी लजाले
कहे में हमरा माई!
हिंदी के खेल ह
कहेले हमरा के आपन अंग
भरि के आपन कोठिला में
करे के हमरे के बदरंग
छोड़ देले बिया घुन पड़े ला
सड़े ला
मारतो बिया
रोअहूँ नइखे देत
ना हमके बढ़े देत बिया
ना लोगन के आपन किताबन में पढ़े देत बिया
ना पाठ्यक्रम में जाये देत बिया
ना अकादमी में आये देत बिया
ना विश्वविद्यालय में पढ़ाये देत बिया
ना संविधान में लिखाये देत बिया
फेर काहे इ गरियावत बिया अंग्रेज़ी के
इहो त उहे कमवा करत बिया
हमरा संगे
भोजपुरी से हिन्दियो त$ जरत बिया
आजु हम भोजपुरियन से
आपन दूध के करजा माँगत बानी
संविधान में हम आपन दरजा माँगत बानी॥