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हम सुनेंगे यह कहानी फिर कभी / कैलाश झा 'किंकर'
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हम सुनेंगे यह कहानी फिर कभी
प्यार की देंगे निशानी फिर कभी।
प्यार में, संग्राम में सब है उचित
देख लेंगे शै रुहानी फिर कभी।
आपसे गहरा जुड़ा रिश्ता अगर
ज़िन्दगी होगी सुहानी फिर कभी।
आग का दरिया है उल्फ़त तो भी क्या
हम मिलेंगे रातरानी फिर कभी।
घूमने जाना अभी मुमकिन नहीं
कर रहे हम बागवानी फिर कभी।