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हम स्वयं के पास आना सीख लें / रंजना वर्मा

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हम स्वयं के पास आना सीख लें
कष्ट में भी गुनगुनाना सीख लें

आइये फिर से लिखें गीता नयी
कर्ममय जीवन बिताना सीख लें

कब सजा ऋतुराज पतझर के बिना
क्यों न पतझर को सजाना सीख लें

जिंदगी की अश्रु ही लिखते कथा
अश्रु आँखों में छिपाना सीख लें

जो जिये खुद के लिये तो क्या जिये
दूसरों के काम आना सीख लें

छोड़ घर अपना शहर में आ बसे
गाँव खेतों को भुलाना सीख लें

जिंदगी आसान कब किसकी हुई
मुश्किलों से भी निभाना सीख लें