हम हारि नहि मानब / कीर्तिनारायण मिश्र
मिल-फैक्टरी-चटकलक एक नम्बरक पुर्जासँ
बहराएल दू नम्बरक टाकासँ
ठाढ़ तँ क’ दैलौं पाँच गोट दसमहला मकान,
मुदा आयकर विभाग केर
प्राणलेबा दैत्यसँ कोना बाँचत प्राण ?
परूकें तँ हे तिर्थंकर तीर्थंकर महावीर !
कएने छलौं चातुर्मासमे सवा लाखक दान !
‘लाइसेन्स’, ‘परमिट’, ‘टैक्स रिबेटक’
सभ आश्वासन
सेक्रेटरी, अण्डर सेक्रेटरी आ किरानी बाबूक
टेबुल पर
‘पेपरबेट’ जकाँ
पड़ल अछि निश्चल-निस्पन्द।
एहि युगमे कतेक होइत अछि अनर्थ
भगवान पारसनाथ
आ वित्तमन्त्रीक पाछाँ खर्च कैल
सभ रूपैया गेल व्यर्थ
व्यवसायमे
दोस्त आ दुश्मन
देशी आ विदेशी
कारी आ सफेदक
पार्थक्य जोहनिहार जनता आ सरकार
किऐक नहि करैत अछि
हमर ‘बैलेंस सीट’क घाटा केर पूर्ति ?
मुदा नहि
हम हारि नहि मानब
रिट्रेंचमेंट, ले ऑफ, क्लोजरक यन्त्र अछि
हमरे हाथमे
चेष्टा कए आप्राण
बचाएब अपन औद्योगिक प्रतिष्ठान।
होमए देबै, हड़ताल-घेराव
आ धएने रहब देशक टीक
अपना हाथमे
देखैत छी
भूखल कर्मचारी
आ निरूपाय सरकार
कहिया धरि नहि होइत अछि
परास्त।