हम हैं 
इतना ही काफ़ी है उन्हें 
हमारे होने से फ़र्क़ नहीं पड़ता 
हम न होते तो दिक़्क़त थी 
  
एक दिन उन्होने हमें बुलाया 
सभी गए 
उन्होने कहा- बाजा बन जाओ 
सभी बाजा बन गये 
उन्होने बजाया 
हम बजे 
उन्होने धप्प से मारा 
हम हँसे।
 
हम हँसे 
तो फूल झड़े 
उन्होने फूलों पर पैर रखा 
और कहा 
मज़ा आया।      
रचनाकाल : 13 जनवरी 2010