भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम : एक शब्द / हरीश भादानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम-एक शब्द
जिसके सामने लिखा हो-
व्यंग का तीखा विशेषण-तुम !
इस अधूरे वाक्य को समझने
मन लगाया
आँखें गड़ाकर पढ़ा
फटती पोरों से
अनेक पृष्ठ पल्टे
पीले पड़े कोष के;
फीके पड़े अक्षर
दूसरा ही अर्थ देने लगे,
टीका क्या करें ?
क्यों न इस अधूरे वाक्य को
यहीं पर छोड़ दें ?