भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हरकारा / ऋतु रूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
ई मेघ मेघ नै छेकै
उदास धरती के हाथोॅ मेॅ
सिन्धु के सौगात सौंपे लेॅ ऐलोॅ छै
इन्द्र के हरकारा बनी केॅ
ऐलोॅ छै
वरुण देवता के आदेश पावी
पाहुन बनी केॅ रहतै
नै जैतै आभी
नया उमिर के मेघ छेकै
कदम्ब के घर पहुनाई मेॅ
कै दिन रहतै
ई के जानै छै।
मेघ केॅ हंकारोॅ मिललोॅ छै
एक्के साथें
बाँसेवनोॅ सेॅ ही नै
केशर केरोॅ
कुटज कुसमोॅ रोॅ ऐंगनो सेॅ
अर्जुन के हंकारोॅ केना भूलतै
आरो केना भूलतै
जूही साथें केतकी रोॅ आमंत्रण
ई मेघ ऐलोॅ छै
केकरोॅ हरकारा बनी
मजकि आभी रहतै पाहुने बनी केॅ।