हरक लाल हरक लाल
अब तुम्हारी बकरियाँ
चोरी-चोरी मेरी मेड़ की घास
क्यों नहीं चर जातीं
हरक लाल हरक लाल
अब तुम लोग कटाई के वक़्त
सीला बीनने क्यों नहीं आते
और हाँ,
बहुत दिन हुए
त्योहार लेने भी नहीं आए तुम
न तुम्हारी घरवाली,
पुरानी उतरन भी नहीं ले गए
तुम कैसे गुज़ारते हो जाड़ा