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हरदम माल जुगत से फेरो / संत जूड़ीराम

हरदम माल जुगत से फेरो।
या माला मोहि सतगुरु दीनी चीन्ही राह मुक्त यह हेरो।
निसिदिन जपत सिपत कर गुरु की आयो हृदय गुरु ज्ञान घनेरो।
जागी सुरत शबद धुनि सुने भागो सकल विखाद बसेरो।
जूड़ीराम सतगुरु की महिमा है विश्राम और नहिं बेरो।