हरदी नगर पुर पाटन हे / भोजपुरी
हरदी नगर पुर पाटन हे, बहि गइले शीतली बयार;
ननदी-भउजिया हो दुनो सूते अनचीते।।१।।
बेरिया गइले पछिमाहुत हे, होई गइले भनसा के जून
ननदी-भउजिया हो दुनो पनिया के गइले।।२।।
ननदी-भउजिया पनिहारिन हे, दुनू मिलि पनिया के गइले
हाँ रे, घटिया त रोकले हो दइबा, कुँअर कन्हैया।।३।।
कि घाट छोडू, बाट छोड़ू हे, कुँअर हे, आकि पनिया भरन मोहि देहू।
आजु के रइनिया राति निजा जइहें सासुर।।४।।
एतना बचनि जब सुनले कुँअर हे, मुखवा पटुका धइके रोवे।
जनि रोउ जनि कानू हे, कुँअरहे, जनि चित करहु बिरोगे
सावर-भदउवा हो बाबा, बाबा मोर बोलइहें, तबे जोर लेब पुराना सनेह।।५।।
जाहु निजा जइबू तूहूँ सासुर हे, हमरा के मति-बुध देहु
कवनो बहनिया ए निजा तोरे संग जाएब।।६।।
डाँड़ जोगे मनरा छवइहे कुँअर रे, चितरी हरिनिया के छाल।
पीतरी बेसरी बेसहिय हो कुँअरा, गोर के नेऊरे।।७।।
एक कोसे गइले, दूसरे कोसे हे, मिलि गइले भइंसी चरवहिया
भइया बतइब ए भइया, निजा के हबेलिया।।८।।
पूरबे-पछिमे सागर-पोखर हे, उत्तर-दखिने बेंत-बाँसे
ताहि बीचे बा रे हे भइया, निजा के हबेलिया।।९।।
पोखरा के आँटे मानर धमकेले हे, परि गइले सँवरो के काने
कि बाबा के नेटुअवा हे सासू, मोरे देसे अइले।।१0।।
चलीं दीदी, चलीं माउ, नाच देखे हे, चलि जाहु पोखरा अरारे।
कि बाबा के नगरिया के नेटुआ, मोरे देसे आइल।।११।।
आगर मरबों में छागर हे, अउरो परेउवा जोड़ी हांस
भोजनी बनइबों ए सासू, आजु नेटुआ जेंवकइबों।।१२।।
किया तोरे भाई भा भतीजवा रे किया तोरे जनमें के यार
किया तोरे हउवे रे धनि, नान्हे के सनेहिया।।१३।।
नाहीं मोरा भाई रे भतीजवा हे, नाहीं मोरा जनमें के यार
इहो त जेज हउवें ए सासू नान्हें के सनेहिया।।१४।।
एतना बचनी जब सुनली सासु हे, घर से आँगन भइली ठाढ़
अइसन नु मतिये धनि मोरे घरे आइल।।१५।।