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हरा रंग / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
पक्षियों को हरा रंग लगता है सबसे अधिक प्यारा
और मुझे भी सब कुछ सूना-सूना
बिना पेड़ों के।
पत्ते झड़ जाएँ तो रात जैसा लगता है
जैसे आंखों से हरा रंग ही फीका होने लगा
और सोचता हूं मैं नित्
अगर हरियाली को न देखूं
भूल ही जाऊं वे सारे सौन्दर्य स्थल पूर्व के।
मिलता है हमें जो रंग परिचित हर दिन
जुड़ा हुआ हमारे पुराने रंगों से
यादें मजबूत कर देता है हमारी पुरानी
और बचे रह जाते हैं
हमारे सपने सारे इसी तरह से।