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हरियर सपने / कुँअर रवीन्द्र
Kavita Kosh से
पूरे साल धरता रहा हरियर सपने
अगले साल के लिए
तह दर तह
तह दर तह
नए साल में खोला
देखा
सब सूख या सड़ गए थे