हरियाणा का गुडगाँव / जय छांछा
सुगंध है शहर में / रौनक है शहर में
चारों ओर चहल-पहल है शहर में
खरीदारों की बड़ी भीड़ है / बेचने वालों का समूह है
दर्शकों की भी कमी नहीं है
बसें दौड रही हैं / कारें भाग रही हैं
मोटरसाइकिलों में रवागनी है / साइकिलें रेंग रही हैं
कैसे विश्वास करूँ मैं इसे गाँव कह कर
ओ हाँ, गाँव जैसा बिल्कुल नहीं लगा मुझे
हरियाणा का यह गुडगाँव ।
नीले आसमान के नीचे बैठ कर
चंद्रमा निहारता है हर रात / इस गुडगाँव को
आधुनिक द्रोणाचार्य आते हैं, और
प्रत्येक व्यापारी से वैट उगाहते हैं
एकलव्य यहाँ से जा चुके
क्रिस्टल सिटी के भव्य मॉल
और बैंकॉक की रात का रंगीन जीवन
यहाँ आकर बसने लगे हैं
तो फिर, आप ही बता दीजिए
कैसे विश्वास करूँ, मैं इस स्थान को
विशुद्ध गाँव है कह कर।
हरियाणा के नीले आसमान के नीचे
रास्ते लगातर बढ़ रहे हैं
ख़ुद कहीं खो गया हूँ, बीच रास्ते में
रिक्शेवाले से पूछता हूँ / दुकानदारों से पूछता हूँ
विदेशी भूमि पर अपरिचितों से पूछता हूँ
सहारा मॉल, सिटी सेंटर और मेट्रोपोलिटन के बारे में ।
अहा, महाभारत काल में तो
गुरु द्रोणाचार्य के बारे में पूछते होंगे सभी, लेकिन
आज किसे फ़ुर्सत है गुरु द्रोणाचार्य को याद करने की ?
आदर्श गुरु द्रोणाचार्य और शिष्य एकलव्य
काल के इस आदर्श गाँव में
भौतिक उन्नति की ही बात होती है
नैतिकता तो कहीं और ही जाकर बस चुकी है
उत्तराधुनिकता के छींटों से
पूरी तरह भीग चुका है गुरु का यह गाँव
प्राचीन आदर्शों का वह गुड़गाँव
इतिहास के किसी पन्ने में छिप चुका है
फिर भी कुछ धुक-धुकी तो बची ही है
इसलिए गुरु गाँव से गुड़गाँव बन गया
अहाँ, यह हरियाणा की गुडगाँव।
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला