हरियाणा के वीरों सुणल्यो, करते क्यूं एहसास नहीं / हबीब भारती
हरियाणा के वीरों सुणल्यो, करते क्यूं एहसास नहीं।
अमर शहीद भुला दिए, क्यों लिख्या ना इतिहास सही।।
सन् सत्तावन की जगत जानता छिड़ी लड़ाई भारी थी,
सर्वखाप की एक फौज बणी, जो लागी सबनै प्यारी थी,
उदमीराम थे सेनापति भाई जिनकी रंगत न्यारी थी,
उन वीरां ने भूए गए क्यूं जिनकी चली कटारी थी,
एक रूहणात गाम इसे वीरां का सै हांसी के पास सही।।
मुनीर बेग और जैन हुकम चन्द प्रमुख योद्धा म्हारे थे,
हिन्दू-मुस्लिम गाम-शहर सभी मिल कै कदम उठारे थे,
देश आज़ाद कराणे खातर भोत घणे गए वारे थे,
आग्गै फिरंगी भाज लिया भाई देखे अजब नज़ारे थे,
इस गाथा का जिक्र नहीं इब होता क्यूं बिसवास नहीं।।
बख्त बदलग्या अंग्रेज़ सम्भलग्या, तोपां के मुंह फेर दिए,
देश भगत जिब ढिले पडग़े दुश्मन नै वे घेर लिए,
रूहणात गाम मैं कोल्हू चाल्या, पीड़-पीड़ के गेर दिए,
लाल सड़क हांसी आळी पै कर वीरां के ढेर दिए,
भरी लहू की नदी चली थी, करते क्यूं सब ख्यास नहीं।।
एक्का म्हारा तोड़ण खातर मज़हब का जाळ फलाया था
जैन हुकम चन्द गए दफनाए, मुनीर बेग को जळाया था,
इसी चाल को वीर भांपगे, ना उल्टा कदम हटाया था,
हंसते-हंसते सूळी चढग़े जिब बैरी थर्राया था,
हबीब भारती सच कह्या दखे राख्या था इकलीस सही।।