हरिवंश राय बच्चन स्मृति पर्व - मई 2018
कविता कोश एवम् हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया द्वारा दो दिवसीय "हरिवंश राय बच्चन स्मृति पर्व मनाया गया।
खगड़िया में हिन्दी, अंगिका, मैथिली, मगही, संस्कृत, अंग्रेजी और बज्जिका में लिखनेवाले साहित्यकार भी हैं, जिनसे मिलकर बिहार अंगिका साहित्य अकादमी, पटना के अध्यक्ष डा0 लखनलाल सिंह आरोही बतौर ऊद्घाटन कर्ता ने अपनी हार्दिक खुशियाँ जाहिर की और कहा कि लेखन, प्रकाशन और आयोजन की त्रिवेणी खगड़िया में बहती है जिसकी इन्द्रधनुषी छटा इस आयोजन के विभिन्न सत्रों में दृष्टिगोचर होनेवाली है। खगड़िया जैसे कस्बाई क्षेत्र में ऐसे आयोजन 16 वर्षों से हो रहे हैं जो अन्यत्र देखने को नहीं मिलता। बिहार के बाहर भी नहीं। कैलाश झा किंकर की अद्भुत ऊर्जा से आच्छादित यह क्षेत्र अपने आप में अद्वितीय है। मैं चाहूँगा कि हिन्दी के साथ-साथ अंगिका के लिए भी खगड़िया अद्वितीय बने।
कैलाश झा किंकर के सफल सम्पादन में हरिवंशराय बच्चन पर केन्द्रित कौशिकी के 64 वें अंक का विमोचन हो, अवधेश्वर प्रसाद सिंह के कविता संग्रह "शब्दों का गुलदस्ता लाया हूँ" का लोकार्पण हो, कविता परवाना के उपन्यास "एम्बीशन" का लोकार्पण हो, सूर्यकुमार पासवान के कविता संग्रह "दुनिया का खेल निराला हो" का लोकार्पण हो या स्वयं कैलाश झा किंकर की कृति "कोई-कोई औरत" के लोकार्पण की बात हो हर तरफ किंकर की मेहनत रंग लाती नज़र आई.
उद्घाटन सत्र में हरिवंशराय बच्चन के व्यक्तित्व एवम् कृतित्व पर डा0 संजय पंकज, डा0 सत्यनारायण चतुर्वेदी, डा0 रमेश आत्मविश्वास, प्रोफेसर चन्द्रिका प्रसाद सिंह विभाकर, डा0 प्रदीप प्रभात, राहुल शिवाय, डा0 कपिलदेव महतो एवम् सुनील कुमार मिश्र ने जमकर चर्चाएँ कीं। सबने माना कि हरिवंशराय बच्चन का हालावाद सर्वश्रेष्ठ है, जहाँ बेफिक्री है, आनन्द है, उत्साह है और गिर-गिरकर उठने की ताकत है। बच्चन जी की रचनाओं का पाठ और गायन मनमोहक लगा। कवियों को मानदेय की राशि से सम्मानित करने की परम्परा के जनक हरिवंशराय बच्चन जी को याद करते हुए विद्वानों ने उन्हें अप्रतिम कवि कहा।
इस आयोजन में कविसम्मेलन और कवयित्री सम्मेलन सत्र में दीनानाथ सुमित्र, रथेन्द्र विष्णु नन्हें, हीरा प्रसाद हरेन्द्र, साथी सुरेश सूर्य, सुधीर कुमार प्रोग्रामर, बाबा बैद्यनाथ झा, शंकरानन्द, अश्विनी कुमार आलोक, भावानन्द सिंह प्रशान्त, मनीष कुमार गुंज, अनिरुद्ध सिन्हा, सुखनन्दन पासवान, चम्पा राय, राजेन्द्र राज, विजयव्रत कंठ, बिनोद कुमार हँसौड़ा, राजा कुमार आनन्द, वीरेंद्र कुमार दीक्षित, डा0 सोहन कुमार सिन्हा, अवधेश कुमार जायसवाल, अनिल कुमार झा, कुमारी कोमल रानी, गणेश झा उपकारी, चन्द्रिका प्रसाद सिंह विभाकर, स्वराक्षी स्वरा, अणिमा रानी, निभा उत्प्रेक्षा, रंजना सिंह, स्मिताश्री, सुप्रिया सिन्हा, विनीता साहा, अलका वर्मा, नीना मंदिलवार, कुमारी स्मृति, सुनीता सुमन, सुषमा सिन्हा, अवधेश्वर प्रसाद सिंह, डा0 संजय पंकज, शिव कुमार सुमन, कविता परवाना, लता सिन्हा ज्योतिर्मय, अशोक कुमार चौधरी, डा0 कपिलदेव महतो, ईश्वर करुण, राहुल शिवाय, कैलाश झा किंकर आदि की कविताएँ खूब सराही गयी।
वैसे तो सभी कवि / कलाकार को पुष्पमाल, सम्मानपत्र, अंगवस्त्र, डायरी, चाँदी की कलम आदि के साथ-साथ स्नेहिल शब्दों और भावों से सम्मानित किया ही गया परन्तु सम्मान सत्र की बात कुछ और थी। चेन्नई साहित्य अकादमी के सचिव ईश्वर करुण को जब"चुप नहीं है ईश्वर" के लिए रामबली परवाना स्वर्ण स्मृति सम्मान दिया गया तो वे भाव-विभोर हो गये। उन्होंने कहा कि यह साहित्य परिषद् बिहार ही नहीं पूरे देश में अद्वितीय है। धन्य हैं खगड़िया के लोग जिन्हें कैलाश झा किंकर और कविता परवाना जैसे ऊँची सोच वाले संघर्षशील, प्रेरक और स्वप्नदृष्टा साहित्यकार मिले।
बनारस से आई सुषमा सिन्हा को "एहसास" लघुकथा संग्रह के लिए अनूपलाल मंडल रजत स्मृति सम्मान, मनोज कुमार झा, दरभंगा को "तथापि जीवन" के लिए नागार्जुन रजत स्मृति सम्मान, गोपाल भारतीय, पूर्वी चम्पारण को "काव्यांजलि" के लिए अवध बिहारी गुप्ता रजत स्मृति सम्मान, मंजुला उपाध्याय मंजुल को "तू मुझमें धड़कता है" के लिए जानकी बल्लभ शास्त्री रजत स्मृति सम्मान, राजीव रंजन, गया को"मेरी अमरनाथ यात्रा" के लिए महताब अली रजत स्मृति सम्मान, संजय कुमार अविनाश, लखीसराय को फणीश्वरनाथ रेणु रजत स्मृति सम्मान, चन्द्र प्रकाश जगप्रिय, खगड़िया को"संस्मरण सौरभ" के लिए राहुल सांकृत्यायन रजत स्मृति सम्मान, लता सिन्हा ज्योतिर्मय, खगड़िया को "मेरा अन्तर्मन" कविता संग्रह के लिए महादेवी वर्मा रजत स्मृति सम्मान, अशोक कुमार चौधरी, खगड़िया को "शस्ति बतीसी" के लिए तुलसीदास रजत स्मृति सम्मान, डा0 कपिलदेव महतो, झारखंड को "मिथक और साठोत्तरी हिन्दी नाटक" के लिए विश्वानन्द रजत स्मृति सम्मान, डा0 संजय पंकज, मुजफ्फरपुर को "शब्द नहीं माँ चेतना" के लिए हरिवंशराय बच्चन स्मृति सम्मान, राहुल शिवाय, बेगूसराय को "स्वाति बून्द" के लिए रामधारी सिंह दिनकर रजत स्मृति सम्मान, अलका वर्मा, त्रिवेणी गंज, को "मुझे मेरे नाम से पुकारो" के लिए आरसी प्रसाद सिंह रजत स्मृति सम्मान और साथी सुरेश, भागलपुर को "गीत मेरे देश के" के लिए रामविलास रजत स्मृति सम्मान से सम्मानित करके हिन्दी भाषा साहित्य परिषद् गौरवान्वित हुई. इस वर्ष का सूर्यनारायण प्रसाद रजत स्मृति सम्मान (श्रेष्ठ कार्यकर्ता सम्मान) संयुक्त सचिव स्वराक्षी स्वरा को दिया गया। फरीदाबाद की सिनीवाली की ट्रेन इतनी लेट हुई कि मोकामा आते-आते रात हो गई, जिन्हें कहानी संग्रह"हंस अकेला रोया" के लिए जैनेन्द्र कुमार रजत स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाना था। इसी प्रकार मैनपुरी के हरिश्चन्द्र शाक्य की ट्रेन महानन्दा ऐन मौके पर रद्द हो गयी जिन्हें "घूमती दुनिया" के लिए विधान चन्द्र राय रजत स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाना था और सहरसा के तारानन्द वियोगी जी भी अपरिहार्य कारण से नहीं आ पाए. इन तीनों का सम्मान परिषद् कार्यालय में सुरक्षित है। समारोह पूर्वक इन्हें भी सम्मानित किया जाएगा।
राजेश कुमार राही, प्रभारी प्राचार्य, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरिपुर के निर्देशन में होलीबड स्कूल के बच्चों ने वाल्मीकि पर आधारित एकांकी को जीवंत कर दिया। साथी सुरेश का एकल अभिनय तो कमाल का हुआ। श्मशानघाट में बहू की कारुणिक प्रस्तुति से दर्शकों की आँखें नम हो गयीं। अमिय कश्यप जैसे भोजपुरी, मैथिली और हिन्दी के दर्जनों फ़िल्म के नायक, एस-एस पी फ़िल्मस, खगड़िया के निदेशक मणिशंकर और अभिनेता गायक राहुल दीवाना की मौजूदगी ने कार्यक्रम में चार चाँद लगाया।
सांस्कृतिक समारोह में संगीताचार्य गणेशपाल, भीम शंकर चौधरी, डा0 राकेश प्रसाद, उमेशचन्द्र पटेल, मणिशंकर प्रसाद, राहुल दीवाना, शताक्षी मिश्रा, प्रज्ञा पुष्पम, मुस्कान कुमारी, मारिया फर्नांडिस, डा0 सोहन कुमार सिन्हा, वीरेंद्र कुमार दीक्षित, चम्पा राय आदि की प्रस्तुति से सत्र जीवंत हो उठा।
शताधिक साहित्यकारों का यह संगम श्यामलाल ट्रस्ट भवन खगड़िया में संभव हो पाया। अतिथियों के ठहराव, भोजनादि का उत्तम प्रबन्ध करने में सचिव कविता परवाना का अमूल्य योगदान रहा। स्वर्ण पत्र / रजत पत्र के निर्माण में उपाध्यक्ष अशोक कुमार चौधरी ने अपनी महती भूमिका निभाई जबकि महासचिव कैलाश झा किंकर ने कौशिकी के सम्पादन, आमंत्रण पत्र, बैनर, सम्मान पत्र, स्वागताध्यक्ष का भाषण, सचिव का प्रतिवेदन, अध्यक्ष का अभिभाषण आदि तैयार करने में अपनी तल्लीनता दिखाई. शिवकुमार सुमन ने सभी अतिथियों के लिए बैच बनाया। स्पष्टतः सभी कार्यकारिणी सदस्यों के साथ-साथ स्वागताध्यक्ष सूर्यकुमार पासवान और स्वागत सचिव समेत सभी सदस्यों ने उत्साह पूर्वक इस सारस्वत अनुष्ठान में अपनी भागीदारी निभाई.
इस आयोजन में मंच संचालक की भूमिका निभा रहे डा0 कपिलदेव महतो, राहुल शिवाय, शिवकुमार सुमन, स्वराक्षी स्वरा, कैलाश झा किंकर, एवम् अणिमा रानी की तत्परता से हर सत्र समय से शुरू और समय से खत्म हुआ।
उद्घाटन, कविसम्मेलन, कवयित्री सम्मेलन, अभिनय, सम्मान समारोह एवम् सांस्कृतिक समारोह जैसै छ: सत्रों की अध्यक्षता करनेवाले माननीय थे क्रमश: रामदेव पंडित राजा, अवधेश्वर प्रसाद सिंह, कविता परवाना, सूर्य कुमार पासवान, प्रोफेसर चन्द्रिका प्रसाद सिंह विभाकर एवम् डा0 सोहन कुमार सिन्हा और मुख्य अतिथि थे-डा0 संजय पंकज, अनिरुद्ध सिन्हा, मंजुला उपाध्याय मंजुल, साथी सुरेश सूर्य, ईश्वर करुण एवम् संगीताचार्य गणेशपाल। मंचसंचालन का दायित्व जिनके कंधों पर था, वे हैं-डा0 कपिलदेव महतो, शिवकुमार सुमन, स्वराक्षी स्वरा, राहुल शिवाय, कैलाश झा किंकर एवम् अणिमा रानी।