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हरि मेरा बेड़ा पार करो / शिवदीन राम जोशी
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					हरि मेरा बेड़ा पार करो |
दया राह शिवदीन  दीन की विनती चित्त धरो ||
नाना दुःख सहे बहुतेरे, काम क्रोध लोभादि घेरे |
कहाँ शान्ति है इस दुनियां में, भ्रम भव दुःख हरो  || 
भटक्यो जनम-जनम धर योनी, आशा तृष्णा छांडे कोनी | 
जनम  मरण  का  चक्कर  अद्भुत,  जनमों  और  मरो || 
अबकी बेर पार कर नैया , राम सियावर कृष्ण कन्हैया  |
और   उपाय   कछु   ना   सूझत ,  यांते   शरण   परो || 
नरतन सफल बने बनि जाये,प्रेमभक्ति मन सहज ही पावे |
पारस   परसि   कुधातु   लोहा ,  सुवरण   होय   खरो || 
 
	
	

