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हरी बगिया हरे केला लगाये नये साजन आये / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हरी बगिया हरे केला लगाये नये साजन आये।
इन साजन के बेंदी भी नइया बेंदी भी नइया
अरे चार दिना झूमर हमने पहराये नये साजन आये।
इन साजन कें झुमकी भी नइया झुमकी भी नइया
अरे चार दिना कर्नफूल हमने पहराये नये साजन आये।
इन साजन कें हरवा भी नइया हरवा भी नइया
अरे चार दिना गोप हमने पहराये नये साजन आये।
इन साजन कें चूड़ी भी नइया चूड़ी भी नइया
अरे चार दिना कंगना हमने पहराये नये साजन आये।
इन साजन कें पायल भी नइया पायल भी नइया
अरे चार दिना लच्छा हमने पहराये नये साजन आये।