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हर कहानी परेशान है / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
हर कहानी परेशान है
जिन्दगानी परेशान है
पोथियों के अहंकार से
मूढ़ ज्ञानी परेशान है
रेडियो और अखबार में
राजधानी परेशान है
पात्र का रूप धरते हुए
रोज पानी परेशान है
शक्ल ब्रह्माण्ड की सोच कर
बुद्धिमानी परेशान है