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हर घड़ी एक सूर्य का अवसान है / शुभम श्रीवास्तव ओम

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हर घड़ी एक सूर्य का अवसान है,
आजकल दिन की यही पहचान है।

क्यों किसी के होंठ पर मुस्कान है,
एक तबका इसलिए हैरान है।

खुदकुशी होगी मुकम्मल आईए तो-
घाट पर सरकार मेहरबान है।

आँकड़े सच बोलने से डर रहे,
आँकड़ों पर भी लगा इल्ज़ाम है।

आईना सच कह गया फिर आदतन-
आईना होना कहाँ आसान है?