भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हर घर में सडांध देती नाली है / सांवर दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

हर घर में सडांध देती नाली है।
बता, यह जिंदगी है या गाली है।

पीक की तरह थूकने पड़े असूल,
पैबंद भरी सत्य की दुशाली है।

बता, कौन-सा मुंह ले अब घर लौटें,
हर चेहरा आज वहां सवाली है।

इस तरह कौन चाहेगा अब जीना,
मर कर जीने की आदत डाली है।

न देना रहा, न लेना बचा बाकी,
बाहर-भीतर सब बिल्कुल ख़ाली है।