हर तरफ आनंद का उपवन खिलेगा ।
शांति के पथ पर मनुज जब चल पड़ेगा।।
यह समय का चक्र तो रुकता नहीं है
सूर्य उग कर भोर में संध्या ढलेगा।।
हिमशिखर से जो उतर जो आयी धरा पर
नीर पावन नित्य सुरसरि में बहेगा ।।
ठोकरें खा लड़खड़ाते हैं संभलते
बस उन्हें ही लक्ष्य जीवन का मिलेगा।।
दूसरों के अश्रु यदि तुम पोछ पाये
राह में दीपक तुम्हारी भी जलेगा।।
मंजिले उन को स्वयं आवाज देंगी
जो न भय से विघ्न के पथ में रुकेगा।।
देश के हित है सदा जो प्राण देते
नाम उनका विश्व में हरदम रहेगा।।