हर तरफ़ स्याह समंदर दिखाई देता है / विनय कुमार

हर तरफ़ स्याह समंदर दिखाई देता है।
सिर्फ़ बाज़ार मुनव्वर दिखाई देता है।

जो फ़रिश्ता था फ़ल्सफ़े की बात करता था
वह भी शो केस के अंदर दिखाई देता है।

उठा हुआ सा कटा सर दिखाई देता था
झुका हुआ सा उठा सर दिखाई देता है।

अमनपरस्त हो गये बहेलिए सारे
अमन लज़ीज़ कबूतर दिखाई देता है।

जो मेरे ख़्वाब में चुपके से कभी आता था
सबके चेहरे पर वही डर दिखाई देता है।

संगमरमर के लिफ़ाफ़े में प्यार की चिट्ठी
चांदनी रात में बेहतर दिखाई देता है।

रोशनी थी तो निगाहों से तुम्हे छूता था
घुप्प अंधेराहै तो छूकर दिखाई देता है।

रोशनी थी तो वह बाहर दिखाई देता था
घुप्प अंधेरा है तो भीतर दिखाई देता है।

वह सरगना जिसे फ़रार बताते हैं हुज़ूर
दरे हुज़ूर पर अक्सर दिखाई देता है।

ख़ुदा करे कि यह मंज़र मेरा वहम निकले
जिसे भी देखिए ख़ंजर दिखाई देता है।

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