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हर पल याद तुम्हारी आती / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
नयन नीर मसि से लिख कर संदेश प्रिया प्रिय को पहुँचाती।
कैसे लिखूँ हृदय की पीड़ा हर पल याद तुम्हारी आती॥
भादो रितु घन गिरा गगन यह
अभी अभी बरसात हो गयी,
बिना तुम्हारे नीरस हैं दिन
कितनी लंबी रात हो गयी।
भीगी पवन डोलते तरुवर इन में तेरी छवि समाती।
कैसे लिखूँ हृदय की पीड़ा हर पल याद तुम्हारी आती॥
प्रेमातुर मन नील गगन में
है तड़िता-सी याद तुम्हारी,
ऋतु रसवंती देह पुष्प-सर
ने क्या अपने हाथ सँवारी।
मिलन गंध अंबर वसुधा कि प्रिय-आगम विश्वास जगाती।
कैसे लिखूँ हृदय की पीड़ा हर पल याद तुम्हारी आती॥