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हर बार/ एरिष फ़्रीड / प्रतिभा उपाध्याय
Kavita Kosh से
जब मैं तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
बनती है मेरे सर में
एक ख़ाली ज़गह
तुम्हारे लिए छिद्र का एक प्रकार
जिसमें कुछ भी नहीं,
मेरा दृढ विश्वास है
हर दिन के अन्त में
बहुत सारी ख़ाली ज़गह
सर में मेरे
रह जाएगी शेष
यदि मैं कुछ और सोचूँ।
मूल जर्मन से अनुवाद : प्रतिभा उपाध्याय