Last modified on 29 जुलाई 2016, at 01:14

हर बिन हारो जगत लराई / संत जूड़ीराम

हर बिन हारो जगत लराई।
मान गुमान जान मत सानो ऐसेई डंभ चलाई।
हेरत हाल जाल अपनो की चित संतोष न पाई।
करत विचार हार नाहिं मानत कोट जतन समझाई।
अपनी समझ आप में भूलो बहुविधि भार लदाई।
जूड़ीराम नाम बिन चीन्हें फिर-फिर गोटा खाई।