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हर मोड़ पर / लाल्टू
Kavita Kosh से
हर मोड़ पर
हर चौराहे पर
मिलता है वह पुलिस वाला
मैंने उसके बच्चों की कल्पना की है
जिनका खयाल कर वह
लोगों को 'ओए' कहकर बुलाता है
दो-चार रूपये ऐंठता है
फिर रात को शर्म पीता है
शराब की बोतलों में
और गरजता है
'सालों' और चूतियों के विरूद्ध ।