हर रस्मो-रिवायत को कुचल सकती हूँ
जिस रंग में ढालें मुझे ढल सकती हूँ
उकताने न दूँगी उनको अपने से कभी
उनके लिये सौ रूप बदल सकती हूँ
हर रस्मो-रिवायत को कुचल सकती हूँ
जिस रंग में ढालें मुझे ढल सकती हूँ
उकताने न दूँगी उनको अपने से कभी
उनके लिये सौ रूप बदल सकती हूँ