हर वक़्त आपके लिए चिन्तित समाज है
अपना ख़याल आप भी रखिए सुराज है।
बेहोश हो चुका है जो अपने ही स्वार्थ में
उससे बना के दूरियाँ रहिए वह बाज है।
दुनिया के वास्ते सदा रहते हैं व्यस्त आप
हम सब को आप पर बहुत सरकार नाज़ है।
वह कल तलक जहान को ललकारता रहा
उत्थान देखकर वही भयभीत आज है।
अफसोस की तो बात ही बिल्कुल नहीं है यह
जो पाप से लदा था वह डूबा जहाज़ है।
मंचों को देख मैंने भी माथा पकड़ लिया
गाता वही है जिसमें कुछ सुर है न साज है।