भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हर सुबह / नरेश सक्सेना

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह सिर्फ़ सूरज ही होता है
जो मारा जाता है हर शाम
और फिर
रोशनियो के कटे हुए सिर
टांग दिए जाते हैं खम्भों से
ताकि ऎसी बदमाशी करने का साहस
फिर किसी और में न हो

और सचमुच किसी में नहीं होता
वह सिर्फ़ सूरज ही होता है
हर सुबह।