भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हर सुबह / सुमन पोखरेल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हर सुबह

हर सुबह,
रक्तरंजित खबरों से साथ जागता हूँ
और सशंकित हो के टटोलता हूँ ख़ुद को
कहीं मैं ही हूँ या नहीं, जानने के लिए।

आभार व्यक्त करता हूँ,
अपने एकमात्र संरक्षक को
"कृतज्ञ हूँ तुम से, ईश्वर !
कि कल मरे हुए और मारे गए हुए की सूची में
मेरा नाम नहीं !!"

.......................................................
(नेपाली से कवि स्वयं द्वारा अनूदित)