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हर हर कर नत तरत तरन तर / महेन्द्र मिश्र

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हर हर कर नत तरत तरन तर।
कस न दीन पर द्रवउ उमावर।
बिसम गरल धर पियत जहर कर,
चढ़त बयल पर कर डमरू धर।
अवढर ढरन सरन प्रतिपालन,
दुष्ट दलन दारून दुख हर-हर।
मुंडमालधर ब्याल गाल पर
ब्याघ्र छाल पर असन धतुरकर।
द्विज महेन्द्र पूजत हर-हर कर
बम-बम-बम शिव मम आरत हर।