भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हल्दी गीत / 1 / भील
Kavita Kosh से
भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मालवे ती हलदुलि मांगाई, पूड़ी बांधी।
मालवे ती हलदुलि मांगाई, पूड़ी बांधी।
मालवे ती हलदुलि मांगाई, घट्ये पिसाई।
मालवे ती हलदुलि मांगाई, वाटक्ये घुलाई।
-मालवे से पूड़ी बाँधकर हल्दी बुलाई पूड़ी बाँधकर। मालवे से हल्दी बुलवाकर घट्टी में पीसी। मालवे से हल्दी बुलवाकर कटोरी मंे घोली।