भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हल्दी गीत / 2 / भील

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कुणे कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
कुणे कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
बावो कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
माय कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
भाइ कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।
भोजाइ कह्यो ने गुदड्ये बठी वो बेनी।

-बाने बिठाते समय एक गुदड़ी (गादी) बिछाते हैं, उस पर दूल्हा-दुल्हन को बिठाते हैं। दुल्हन से पूछती हैं कि तुमसे किसने कहा और जो तू गादी पर बैठ गई? उत्तर में गाते हैं कि पिता ने कहा और गादी पर बैठी। माँ ने कहा, भाई ने कहा और भौजाई ने कहा, तब गादी पर बैठी।