भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हल हाथ है उसी का / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हल हाथ है उसी का
जो खेत में चला है
श्रम बिंदु है उसी का
जो बीज हो उगा है
वरदान है उसी का
जो धान्य हो फला है
उल्लास है उसी का
जो प्राण को मिला है