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हल / बैर्तोल्त ब्रेष्त / विष्णु खरे

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सत्रह जून के बलवे के बाद
लेखक संघ के सचिव ने
स्तालिन मार्ग पर पर्चे बँटवाए
जिनमें कहा गया था कि
जनता ने सरकार का विश्वास खो दिया है
और अब दुगने प्रयत्नों से ही
उसे पा सकती है । ऐसी हालत में
क्या सरकार के लिए ज्यादा आसान नहीं होगा
कि वह इस जनता को भंग कर दे
और दूसरी चुन ले ?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे
लीजिए, अब यही कविता मूल जर्मन भाषा में पढ़िए
          Bertolt Brecht
            Die Lösung

Nach dem Aufstand des 17. Juni
Ließ der Sekretär des Schriftstellerverbands
In der Stalinallee Flugblätter verteilen
Auf denen zu lesen war, daß das Volk
Das Vertrauen der Regierung verscherzt habe
Und es nur durch verdoppelte Arbeit
zurückerobern könne. Wäre es da
Nicht doch einfacher, die Regierung
Löste das Volk auf und
Wählte ein anderes?