भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हळौतियौ / रेंवतदान चारण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चौमासै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी
भींजै बळद किलोड़िया, आ चंवै जूनकी ढांणी
हळिया जोतौ रै कांमेती
खेती निपजै धणियां हेती
हाळी बीज रौ हळोतियौ

कूमठ रौ हळ, चऊ सुरंगी, नांई बीजणी सोवै
काढ़ ऊमरा धरती थारी आभै नै कांई जोवै
माटी कण रौ मण निपजावै, बेलड़ियां फूलांणी
चौमासे रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी
हळिया जोतौ रै हाळैती
खेती निपजै धणिया हेती
हाळी बीज रौ हळोतियौ!

काळ बरस रै पड़ी बीजळी, गैरौ इन्दर गाजै
भातौ लै भतवार खेत में, मझ दोफारां आजै
खाटौ खीच सोगरा लाजै, मीठोडी गळवांणी
चौमासै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी

हळिया खड़लौ रै कांमेती
खेती निपजै धणियां हेती
हाळी बीज रौ हळौतियौ!
ज्यूं जळ बूठौ थल में रळियौ, ऊगी कूंपळ काची
पीळौ कीकर पड़ग्यौ करसा, थें धरती नै राची
ऊंचा मैल झुकै है, ज्यांरी झूपड़ियां सैनांणी
चौमासै रा गुडळा बादळ, पालर बूठा पांणी
हळिया जोतौ रै कांमेती
खेती निपजै धणियां हेती
हाळी बीज री हळोतियौ!