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हवाओं के रुख / नवनीत पाण्डे
Kavita Kosh से
हवा जब भागती है
सिर्फ हवा ही नहीं
कई चीज़ें भागती है
एक समर्पण के साथ
हवा के साथ
हवा
हिला देती है
उखाड़ देती है
मजबूत जड़ें
खड़े
हो जाते पल भर में
पड़े..
अंधी, बहरी
और दिशाहीन
होती है हवाएँ
कोई नहीं चीन्ह पाया
हवाओं के रुख
कब, कौन, कहाँ
कह पाया
हवाओं से
रुक...