भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हवाओ को घर का पता यूं बताना / राजेश चड्ढा
Kavita Kosh से
हवाओं को घर का पता यूं बताना,
मुंडेरों पे जलता दिया छोड़ आना।
गीत-ओ-ग़ज़ल की जो लय ना बने तो,
पीड़ा की बंदिश पे शब्दों को गाना।
पुराने ताल्लुक में दम ना रहे तो,
रिश्तों की मण्डी में बोली लगाना।