Last modified on 21 जुलाई 2009, at 01:18

हवा आती है, हवा जाती है / नाज़िम हिक़मत

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: नाज़िम हिक़मत  » हवा आती है, हवा जाती है

चेरी की एक टहनी
एक ही तूफ़ान में दो बार नहीं हिलती
वृक्षों पर पक्षियों का मधुर कलरव है
टहनियाँ उड़ना चाहती हैं।

यह खिड़की बन्द है:
एक झटके में खोलनी होगी।
मैं बहुत चाहता हूँ तुम्हें
तुम्हारी तरह रमणीय हो यह जीवन
मेरे साथी, ठीक मेरी प्रियतमा की तरह ...

मैं जानता हूँ
दुःख की टहनी उजड़ी नहीं है आज भी --
एक दिन उजड़ेगी।


अंग्रेज़ी से अनुवाद : उत्पल बैनर्जी