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हवा के साथ चल कर क्या करेंगे / भावना
Kavita Kosh से
हवा के साथ चल कर क्या करेंगे
तेरे साये में ढल कर क्या करेंगे
नहीं है गुर दिलों को जीतने का
वे चेहरे भी बदल कर क्या करेंगे
बहुत हैं दूर हाथों से खिलौने
ये बच्चे यूँ मचल कर क्या करेंगे
हकीक़त से जो नज़रें फेरते हैं
वे ख्व़ाबों में टहल कर क्या करेंगे
फ़सल खेतों में झुलसी -सी खड़ी है
ये बादल अब पिघल कर क्या करेंगे
अभी बेचैन हैं हालात खुद ही
गड़े-मुर्दे निकल कर क्या करेंगे
इन्हें महफ़ूज रख रातों की खातिर
ये दीपक दिन में जल कर क्या करेंगे